Saturday, May 04, 2013

सौ साल पुरानी विरासत, लेकिन रख रखाव के लिये पैसे नहीं

हम लोग मुक्तेश्वर में इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट देखने गये वहां डा.शर्मा ने हमें घुमाया। इस चिट्ठी में,उनके बारे में और डीएनए से फिंगर प्रिटिंग के बारे में चर्चा है।
इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुक्तेश्वर कुमाऊं


मुक्तेश्वर में हम लोग इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आई वी आर आई) के अतिथि गृह में ठहरे। वहां पहुंच कर हम सबसे पहले इंस्टीट्यूट को देखने गये। वहां पर डा. शर्मा थे। उन्होंने हमे इंस्टीट्यूट दिखाया और इसके बारे में बताया।

डा.शर्मा जो घोड़ा डाक्टर (Veterinary doctor) हैं। उन्होंने पीएचडी भी प्राप्त की है। वे हमें इंस्टीयूट के नये माईक्रोलैब दिखाने ले गये और बताय कि उसमें क्या अनुसंधान हो रहा है। उनके मुताबिक वह शोध का अन्तराष्ट्रीय स्तर है। पिछले साल वहां के वैज्ञानिकों ने लगभग २५ शोद्वपत्र प्रकाशित किये हैं।
इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुक्तेश्वर कुमाऊं की प्रयोगशाला

डा० शर्मा एक डीएनए फिंगर प्रिटिंग एक्सपर्ट है और उन्होंने जनेटिक में भी काम किया है। बहुत साल पहले हम लोग केरल गये थे। वहां पर मेरी मुलाकात एक शोधकर्ता से हुई थी उसने बताया कि वह शेरों के ऊपर शोध कर रहे है और यह जानने का प्रयत्न कर रहे है कि जंगल में कितने शेर हैं। इसके लिये मल से डीएनए प्राप्त कर पता करते हैं कि वह उसी शेर का मल है या किसी और शेर का।

डा. शर्मा डीएनए के अन्य तरह से प्रयोग के बारे में बताया। उनके मुताबिक

'इसका प्रयोग चिड़ियाघर में किया जा रहा है और अक्सर मेटिंग ऐसे जानवरों के बीच कोशिश की जाती है जो आपस में रिश्तेदार न हो। डीएनए से पता चलते है कि दो जानवर रिश्तेदार है अथवा नहीं।'
आजकल सारे जानवरों का डीएनए एकत्र करके रखा जाता है और यदि किसी मांस के कारण कोई बीमारी फैलती है तो यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि वह मांस दुनिया के किस भाग से आया था। 

शुभा ने कुछ साल विदेश में पढ़ाया है। वह जब अमेरिका में पढ़ा रही थी तब वहां मांस खाने के कारण बीमारी फैलने लगी। लेकिन वहां न केवल इस बात का पता चल गया कि वह मांस न्यूजीलैंड से आया था पर वह उसके किस भाग से आया था। यह केवल इस कारण हो सका कि जानवरों का डीएनए रखा गया था।

इंस्टीट्यूट मुझे बेहद सुन्दर जगह लगी और शायद वहां शोध करने का अलग मज़ा हो। हांलाकि शर्मा दुखी थे। उनका कहना था कि,

'यह इमारत, यहां हर चीज़ सौ साल से ज्यादा पुरानी है; विरासत में है। लेकिन सराकार इसके रख रखाव के लिये  पैसे नहीं देती है।'
अगली बार, कुछ और चर्चा इस इंस्टीट्यूट के बारे में।

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इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट, मुक्तेश्वर कुमाऊं का अतिथि गृह जहां हम ठहरे थे

जिम कॉर्बेट की कर्म स्थली - कुमाऊं
जिम कॉर्बेट।। कॉर्बेट पार्क से नैनीताल का रास्ता - ज्यादा सुन्दर।। ऊपर का रास्ता - केवल अंग्रेजों के लिये।। इस अदा पर प्यार उमड़ आया।। उंचाई फिट में, और लम्बाई मीटर में नापी जाती है।। चिड़िया घर चलाने का अच्छा तरीका।। नैनीताल में सैकलीज़ और मचान रेस्त्रां जायें।। क्रिकेट का दीवानापन - खेलों को पनपने नहीं दे रहा है।। गेंद जरा सी इधर-उधर - पहाड़ी के नीचे गयी।। नैनीताल झील की गहरायी नहीं पता चलती।। झील से, हवा के बुलबुले निकल रहे थे।। नैनीताल झील की सफाई के अन्य तरीके।। पास बैटने को कहा, तो रेशमा शर्मा गयी।। चीनी खिलौने - जितने सस्ते, उतने बेकार।।कमाई से आधा-आधा बांटते हैं।। रानी ने सिलबट्टे को जन्म दिया है।। जन अदालत द्वारा, त्वरित न्याय की परंपरा पुरानी है।। बिन्सर विश्राम गृह - ठहरने की सबसे अच्छी जगह।। सूर्य एकदम लाल और अंडाकार हो गया था।। बिजली न होने के कारण, मुश्किल तो नहीं।। हरी साड़ी पर लाल ब्लाउज़ - सुन्दर तो लगेगा ना।। यह इसकी सुन्दरता हमेशा के लिये समाप्त कर देगा।। सौ साल पुरानी विरासत, लेकिन रख रखाव के लिये  पैसे नहीं।।

About this post in Hindi-Roman and English 
In Mukteshawr, Dr. Sharma took us around the Indian Veterinary  Research Institute. This post in Hindi (Devnagri script) is about Dr. Sharma and DNA finger printing. You can read translate it into any other  language also – see the right hand widget for translating it.

mukteshwar mein, dr.  sharma ne hame Indian Veterinary  Research Institute dikhayaa.  hindi (devnagri) kee is chitthi mein, kuchh charchaa dr. sharma aur dna finger printing ke baare mein. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

सांकेतिक शब्द
। Kumaon,  
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4 comments:

  1. हजारों सालों के इतिहास वाले देश में 100 वर्ष का कोई मूल्य नहीं।

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  2. मुक्तेश्वर में इंडियन वेर्टनिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के बारे में और डी एन ऐ परिरक्षण के फायदे की जानकारी मिली -आभार !

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  3. shweta2:42 pm

    If government is providing money for running research , lab equipments , i guess that should be fine . I didn't get why money is required for maintenance unless there is not any major harm to property or building is not getting worn out. The Laboratory looks fine & well equipped. Anyway , these are all my personal views .... it is nice post .

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  4. आप से मुझे हमेशा ऐसी जानकारी मिली है जो इस सूचना के संसार मे भी आसानी से उपलब्ध नहीं होती है ।

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आपके विचारों का स्वागत है।