Thursday, October 06, 2011

स्टीव जॉबस्—कम्प्यूटर उपभोक्ता उत्पाद के पथ प्रदर्शक

स्टीव जॉबस् का चित्र विकिपीडिया से
यह चिट्ठी, स्टीव जॉबस् को श्रद्धांजलि है।
इस चिट्ठी को आप सुन भी सकते हैं। सुनने के लिये यहां चटका लगायें। यह पॉडकास्ट ogg फॉरमैट में है। यदि सुनने में मुश्किल हो तो ऊपर दाहिने तरफ का पृष्ट, "'बकबक' पर पॉडकास्ट कैसे सुने" देखें। 

स्टीव का जन्म २४ फरवरी १९५५ में हुआ था। उन्हें जन्म देने वाली, बिन ब्याही मां थी। इसलिये वे स्टीव को गोद में देना चाहती थीं। वे स्वयं स्नातक कक्षा की छात्रा थीं। इसी कारण, वे चाहती थीं कि स्टीव को कोई स्नातक दम्पत्ति ही गोद ले। 

सबसे पहले एक वकील दम्पत्ति उन्हें गोद लेने के लिये आये। बाद में उस दम्पत्ति को लगा कि किसी लड़की गोद लेना ठीक रहेगा। इसलिये उन्होंने स्टीव को गोद नहीं लिया। 

स्टीव को, दूसरे दम्पत्ति ने गोद लिया। लेकिन उनकी होने वाली मां ने कालेज की शिक्षा पूरी नहीं की थी और पिता तो हाई स्कूल भी पास नहीं थे। इसलिये बिन ब्याही मां ने, कई महीनो तक गोदनामे पर दस्तखत नहीं किया। लेकिन जब गोद लेने वाले दम्पत्ति ने वायदा किया कि वे स्टीव को स्नातक पढ़ाई के लिये भेजेंगे, तभी वे दस्तखत करने को राजी हुईं। 

स्टीव अक्सर स्कूल में दिया गया काम नहीं करते थे। उन्हें इसमें बोरियत लगती थी। वे विश्वविद्यालय तो गये पर डिग्री न ले सके। उनके गोद लेने वाले माता पिता मध्यम परिवार से थे। उन्हें लगा कि वे उनका पैसा बेकार कर रहे हैं। 

स्टीव को हिन्दी टूटी फूटी आती थी। वे सत्य की खोज में, भारत में आये। इसके लिये उन्होंने साधूओं और महात्माओं के चक्कर भी लगाये। लेकिन उनका यह अनुभव अच्छा नहीं रहा। लेकिन इसी दौरान, वे अपने आप, सत्य के करीब पहुंचे, 
'I started to realise that maybe Thomas Edison did a lot more to improve the World than Karl Marx and Kairolie Baba put together'
मुझे लगा कि थॉमस ऍडिसन इस दुनिया को बेहतर बनाने में ज्यादा मदद की बजाय कार्ल मार्क्स या फिर किसी साधू महात्मा ने।
बाद में उन्होंने ऍप्पल कम्पनी बनायी और कम्प्यूटर की दुनिया में क्रान्ति ला दी। कम्पयूटर उपभोक्ता बाज़ार की पकड़ रखने वाला उनसे बेहतर व्यक्ति नहीं हुआ। इसी कारण मैक कंपनी के उत्पाद—चाहे वे कम्प्यूटर हों, या लैपटॉप, या आईपॉड, या फिर आईपैड—बेहतरीन उत्पाद हैं और इनका नशा भी अलग है।

मैंने कुछ समय पहले जेफरीस् यंग और विलियेम साइमन के द्वारा लिखी स्टीव जॉब की जीवनी 'आईकॉन: स्टीव जॉबस् द ग्रेटेस्ट सेकेन्ड एक्ट इन द हिस्टरी ऑफ बिसिनेस' पढ़ी। इसके पहले शब्द को दो तरह से पढ़ा जा सकता है: 

  • पहला, icon यानि की वह शख्स जो आदर का प्रतीक हो; 
  • दूसरा  I con यानि कि मैं छल करता हूं। 

यह पुस्तक उनके उस चरित्र के बारे में भी चर्चा करती है जिसके बारे में हम नहीं सुनना चाहते हैं। यह उनकी कमियों, उनके मानवीय गुणों को भी बताती है। । यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व का संतुलित चित्रण करती है और पढ़ने योग्य है। लेकिन यह पुस्तक किसी भी ऍप्पल स्टोर में नहीं बिक सकती है। 


स्टीव के जीवन में तीन महत्वपूर्ण घटनायें हुई हैं,
  • पहली, वे विश्वविद्यालय तो गये पर डिग्री न ले सके। उन्होंने विश्विद्यालय छोड़ दिया (ड्रॉप आउट)। 
  • दूसरा, वे ऍप्पेल कंप्यूटर से निकाल दिये गये। लेकिन बाद में, उन्हें वापस लिया गया।
  • तीसरा, उन्हे पाचक-ग्रंथि में कैंसर हो गया और पता चला कि वे छः महीने तक ही जीवित रह सकेंगे। लेकिन बाद मेंउन्होंने ऑपरेशन कराया।    
स्टीव की बातों को समझाने वाला 
यह कार्टून इस वेबसाईट के सौजन्य से है।
बड़ा करने के लिये चटका लगायें
इन सब के बावजूद भी, वे स्वयं  इतना उठ सके और ऍप्पल कंप्यूटर कंपनी इतना ऊपर ले जा सके। इसका कारण उनके शब्दों  में,
'The only thing that kept me going was that I loved what I did. You've got to find what your love ... the only way to do great work is to love what you do. If you haven't found it yet, keep looking. Don't settle. As with all matters of the heart, you'll know when you find it. And, like any great relationship, it just gets better and better as the years roll on.
...
Don't let the noise of others' opinions drown out your own inner voice. And most important, have the courage to follow your heart and intuition. They somehow already know what you truly want to become. Everything else is secondary.'

मैं जो भी करता हूं उससे प्यार करता हूं। इसी ने मुझे आगे चलते रहने की प्रेणना दी। तुम्हे वह तलाशना है जिससे तुम प्यार करते हो ... जीवन में किसी बड़े सफल काम को करने के लिऐ, तुम जो भी करो, उससे प्यार करो। यदि तुम्हें अपना प्यार नहीं मिला है तो उसे ढूंढो - रुको नहीं। तुम्हें मालुम चल जायगा जब वह तुम्हें मिलेगा। यह दिल के किसी भी अन्य विषय की तरह है। समय बीतते, यह किसी भी अन्य रिश्ते की तरह बेहतर होता जायेगा।
...
दूसरों के विचारों से, अपने अन्दर की आवाज को मत बाधित होने दो। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने दिल और अन्तर्ज्ञान का अनुकरण करो। वे भली भांति जानते हैं कि तुम क्या बनना चाहते हो। बाकी सब गौण है।


इसी साल उन्होंने बिमारी के कारण ऍप्पल कंप्यूटर से इस्तीफ दे दिया। कल,  पांच अक्टूबर २०११ को, कैंसर के कारण, उनकी मृत्यु हो गयी। मेरा उनको सलाम।



कुछ समय पहले मैंने, 'अपने प्यार को ढ़ूंढिये' नामक चिट्ठी में, उनके बारे में लिखा है। वहां पर उनके द्वारा स्टैनफोर्ड विश्विद्यालय के दीक्षांत समारोह में दिये गये भाषण की चर्चा की है तथा इस तरह की अन्य चिट्ठियों की भी चर्चा है। स्टीव के द्वारा दिया गया यह एक बेहतरीन भाषण है। यदि आपने नहीं सुना है तब इसे अवश्य सुनिये।

इस मूल भाषण को अंग्रेजी में यहां और इसका कुछ संक्षिप्त रूप हिन्दी में यहां पढ़ सकते हैं

मैक कम्प्यूटर १९८४ बजार में आया था। इसका सुपर बोल में विज्ञापन भी अनूठा था। इसकी चर्चा मैंने 'क्यों साल १९८४, उन्नीस सौ चौरासी की तरह नहीं था'  नामक चिट्ठी में की थी। शायद इसे आप पढ़ना चाहें। 


About this post in Hindi-Roman and English 
yeh hindi (devnagri) kee chitthi steve jobs ko shradhanjali hai. ise aap roman ya kisee aur bhaarateey lipi me padh sakate hain. isake liye daahine taraf, oopar ke widget ko dekhen.

This post in Hindi (Devnagri) is obituary of Steve Jobs. You can read it in Roman script or any other Indian regional script also – see the right hand widget for converting it in the other script.


सांकेतिक शब्द  
।  Steven Paul Jobs, Apple computerPixer Animated Studio,
iCon: Steve Jobs, The Greatest Second Act in the History of Business,  
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