Friday, April 15, 2011

अरबिन्दो के संपर्क के आने से पहले, मां की शादी हो चुकी थी

इस चिट्ठी में श्री अरबिन्द की समाधि एवं मां की चर्चा है।
यह चित्र श्री अरबिन्दो आश्रम की वेबसाइट के सौजन्य से।


अरविन्दो आश्रम की कल्पना और स्थापना श्री अरविन्द द्वारा की गयी है। इस आश्रम की मुख्य इमारत में श्री अरविन्द की समाधि है। इस इमारत के अन्दर बहुत सारे गमलों में बहुत सुन्दर फूल रखे हुए थे और यह जगह देखने में बहुत अच्छी है। समाधि भी फूलों से खूब सजी हुई थी। उसमें लिखा एक तरफ अंग्रेजी में और एक तरफ फ़्रेंच भाषा में लिखा हुआ था हुआ था कि अरविन्दो ९ दिसम्बर १९५० को उनके बीच से चले गये। 

समाधि पर जाने का कोई समय नहीं है और कोई भी व्यक्ति जब जाना चाहे तब जाकर अपना समय व्यतीत कर सकता है। वहां पर मौन रखना आवश्यक है। हम लोग पहुंचे तो बहुत से लोग समाधि पर नत मस्तक थे और कुछ बैठे हुए थे। हम लोगों ने समाधि का एक चक्कर लगाया और उसके बाद वापस चल दिए।
मां का चित्र विकिपीडिया से


मां फ्रांसीसी महिला थी। उनका पहले नाम मिर्रा अल्फास़ा (Mirra Alfassa) बाद में मिर्रा मॉरिस़ेट (Mirra Morisset) और मिर्रा रिचार्ड (Mirra Richard) हो गया था।

मां का जन्म २१ फरवरी १८७८ में तथा मृत्य १७ नवम्बर १९७३ में हुई। श्री अरबिन्दो के संपर्क के आने से पहले से उनकी शादी हो चुकी थी और उनका एक पुत्र था। 

मां को सपने में एक आध्यात्मिक पुरूष नज़र आये। जिनकी उन्हें तलाश थी। उनके पति की जब पॉन्डिचेरी में पोस्टिंग हुई तब उनकी मुलाकात श्री अरविन्द से हुई। उन्होंने फ्रांस वापस जाकर अपनी पत्नी को उनके बारे में बताया कि उनकी मुलाकात उस व्यक्ति से हुई है जिसकी उन्हें तलाश है। तब मां श्री अरविन्दो के सम्पर्क में आयीं और यहीं रह गयी।

मां का पुत्र और उनकी पोती ही मां के साथ पॉन्डिचेरी में रहे। मां की दो पर -पोतियां भी हैं जिन्होंने अपनी शिक्षा वहीं पर पॉन्डिचेरी में इस अरविन्दो आश्रम के स्कूल में पूरी की। वे आती जाती  रहती हैं लेकिन वहां पर रहती नहीं हैं। 

श्री अरविन्दों के विचार को एक समाजिक रूप दिए जाने के लिये, मां ने ऑरोविल की कल्पना की, और रूप प्रदान किया।
यह एक अन्तर-राष्ट्रीय रहने की जगह है। अगली बार वहीं चलेंगे।

मां की नगरी - पॉन्डेचेरी यात्रा 
हो सकता है कि लैपटॉप के नीचे चाकू हो।। कोबरा मेरे हाथ पर लिपट गया।। घोड़ा डाक्टर, गायों और भैंसों की लात खाते थे।। पॉन्डेचेरी फ्रांसीसी कॉलोनी थी।। शाम सुहानी लग रही थी।। महिलाएं बेवकूफ़ बन रही हैं।। पैंतालिस मिनट में पांच हजार लोगों का खाना।। यह स्कूल अनूठा है।। शिव ने पार्वती को चूम लिया।। अरबिन्दो के संपर्क के आने से पहले, मां की शादी हो चुकी थी।।

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7 comments:

  1. अरबिंदो पर अगली पोस्ट की प्रतीक्षा रहेगी !

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  2. मां के बारे में कुछ और भी बताते तो और अच्छा लगता..

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  3. आपकी आगामी यात्रा की प्रतीक्षा है।

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  4. अच्‍छी और प्रेरक जानकारी।

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  5. अच्‍छी और प्रेरक जानकारी।

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  6. मदर की परपोतियों के बारे में पहले नहीं मालुम था।

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  7. थोडा बहुत पढ़ा है इनके बारे में. अच्छी जानकारी.

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