Wednesday, April 04, 2007

'व्यक्ति' शब्द पर ६० साल का विवाद – भूमिका: आज की दुर्गा

हमारा समाज पुरुष प्रधान है। इसके मानक पुरुषों के अनुरूप रहते हैं। तटस्थ मानकों की भी व्याख्या, पुरुषों के अनुकूल हो जाती है। कानून में हमेशा माना जाता है कि जब तक कोई खास बात न हो तब तक पुलिंग में, स्त्री लिंग सम्मिलित माना जायेगा। कानून में कभी कभी पुलिंग, पर अधिकतर तटस्थ शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं जैसे कि 'व्यक्ति'। अक्सर कानून कहता है कि, यदि किसी 'व्यक्ति' (person),
  • की उम्र ..... साल है तो वह वोट दे सकता है,
  • ने ---- साल ट्रेनिंग ले रखी है तो वह वकील बन सकता है,
  • ने विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की है तो वह उसके विद्या परिषद (Academic council) का सदस्य बन सकता है,
  • को गवर्नर जनरल, सेनेट का सदस्य नामांकित कर सकता है।
ऐसे कानून पर अमल करते समय, यह सवाल उठा करता था कि इसमें 'व्यक्ति' शब्द की क्या व्याख्या है। इसके अन्दर हमेशा पुरूषों को ही व्यक्ति माना गया, महिलाओं को नहीं। हैं न, अजीब बात है। भाषा, प्रकृति तो महिलाओं को व्यक्ति मानती है पर कानून नहीं। महिलाओं को, अपने आपको, कानून में व्यक्ति मनवाने के लिए ६० साल की लड़ाई लड़नी पड़ी और यह लड़ाई शुरू हुई उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य से।

अगली बार हम इंगलैंड में 'व्यक्ति' शब्द पर हुऐ कुछ फैसलों पर अपनी नजर डालेंगे।

यदि आप, इस चिट्ठी को पढ़ने के बजाय, सुनना पसन्द करें तो इसे मेरी 'बकबक' पर यहां क्लिक करके सुन सकते हैं। यह ऑडियो क्लिप, ogg फॉरमैट में है। इस फॉरमैट की फाईलों को आप,
  • Windows पर कम से कम Audacity एवं Winamp में;
  • Linux पर लगभग सभी प्रोग्रामो में; और
  • Mac-OX पर कम से कम Audacity में,
सुन सकते हैं। मैने इसे ogg फॉरमैट क्यों रखा है यह जानने के लिये आप मेरी शून्य, जीरो, और बूरबाकी की चिट्ठी पर पढ़ सकते हैं।

आज की दुर्गा
महिला दिवस|| लैंगिक न्याय - Gender Justice|| संविधान, कानूनी प्राविधान और अंतरराष्ट्रीय दस्तावेज।। 'व्यक्ति' शब्द पर ६० साल का विवाद – भूमिका।।

5 comments:

  1. दिलचस्प लगा आपका लेख ... आगे की कडी का इन्तजार रहेगा

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  2. कृपया Mac OS X लिखें (here X stands for 10) मैने Mac OS 8, 9.2 और Power PC G4 का कुछ समय तक प्रयोग किया है, अब कभी कभी ही करता हूँ।

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  3. हाँ मैने भी समाचार पढ़ा था। खुशी हुई जानकर कि मैं व्यक्ति बन गई।
    माँ को सम्बोधित मेरी एक कविता में मैने लिखा है :
    देखो माँ, अव्यक्ति कहलाने वाली इन स्त्रियों, मेरी पुत्रियों ने
    मुझे व्यक्ति बना दिया।

    घुघूती बासूती

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  4. हा हा, सही है उन्मुक्त भाई. अब क्या कहें हम, :)

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  5. उन्मुक्त जी, सदा की तरह आपने रोचक जानकारी द्वारा उत्सुकता जगाकर प्रतीक्षा को विवश कर दिया।

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आपके विचारों का स्वागत है।