Monday, June 05, 2006

२ की पावर और कंप्यूटर विज्ञान और श्रृंखला का निष्कर्ष: नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू

इस विषय की पहली पोस्ट पर हम लोगों ने इस पर चर्चा करने का क्रम तय किया था और दूसरी पोस्ट पर मार्टिन गार्डनर की पुस्तकों के अलावा पहेलियों कि अन्य अच्छी पुस्तकों के बारे मे बात की। तीसरी पोस्ट पर शतरंज के जादू के बारे मे बात चीत की। चौथी पोस्ट पर सृष्टि के अन्त की चर्चा की। पांचवीं पोस्ट पर इस पहेली के अन्य रूपों की। इस बार इन दोनो के सम्बन्धों के बारे मे तथा इनके हल का कमप्यूटर विज्ञान से सम्बन्ध।

क्या आपने नारद जी की छड़ी की पहेली के जवाब पर गौर किया। नारद जी की छड़ जितने दिन रुकना चाहेंगे उतनी लम्बी छड़ होगी पर टुकड़े हमेशा १, २, ४, ८, १६ ..... के होंगे। यदि इसे लड्डू के रूपमे देखें तो डिब्बों मे लड्डू हमेशा १, २, ४, ८, १६, .... के नम्बर से रखने होंगे। यह सब नम्बर दो को दो से एक बार या दो से कई बार गुणा करके मिले हैं या यह कह लीजये कि ये दो की पावर (power) हैं। शतरंज के खानो मे गेहूँ के दाने भी इसी नम्बर मे रखे जाने हैं। सृष्टि का अन्त मे छड़ों के बदलाव की संख्या का भी सम्बन्ध २ की पावर से है।

नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू एक दूसरे के अलग अलग रूप हैं नारद जी की छड़ी जोड़ से शुरू होकर उसके टुकड़ों तक जाती है तो शतरंज का जादू टुकड़ों से शुरू होकर उसके जोड़ तक जाता है। यानि कि नारद जी की छड़ी कि पहेली का अन्त शतरंज के जादू की शुरुवात है और शतरंज का जादू का अन्त नारद जी की छड़ी की शुरुवात है: यह पहेलियां एक दूसरे विलोम रूप है।

अब कुछ शब्द इसके हमारे साथ के सम्बन्ध से, हालांकि इसकी वृस्तित चर्चा कभी और - शायद 'गणित, चिप और कमप्यूटर विज्ञान सिरीस' मे - यहां केवल भूमिका।

इस विषय पर चर्चा शुरू करने से पहले मैने कहा था कि इस पहेली का सम्बन्ध उससे भी है जिससे हम सब जुड़े हैं। जी हां, इन नम्बरों का बहुत गहरा सम्बन्ध कमप्युटरों से है आप देखें तो पायेंगे कि इन नम्बरों मे दो खास बातें हैं। यह वह नम्बर हैं,

  • जिसकी दूरी पर नारद जी की छड़ को काटने पर सबसे कम बार काटा जायेगा; या
  • यह वह नम्बर है जिसमे लड्डुवों को डिब्बों मे रखने पर सबसे कम डिब्बों की जरूरत होगी;
  • और
  • जिनकी सहायता से हम हर दिन को अलग अलग छड़ से मिला कर निश्चित रूप से चिन्हित कर सकते हैं। या
  • जिनकी सहायता से जो भक्त जितने लड्डू चाहे उसे अलग अलग डिब्बों मे रख कर दे सकते हैं।
कमप्यूटर विज्ञान मे दो बाते अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण हैं

  • किसी कार्य को कितने कम से कम steps मे किया जा सकता है; और
  • हम analog से digital पर कैसे पहुंचे। यह तभी हो सकता है जब हम किसी भी चीज को नम्बरों के द्वारा निश्चित रूप चिन्हित कर सकते हैं। यह यदि आप नारद जी की छड़ी के हल पर गौर करें तो उससे हो सकता है।

हमारा जीवन, हमारी गणित, डेसीमल सिस्टम पर आधारित है, यानि कि १० नम्बरों से (०, १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, और ९) बाकी सारे नम्बर लिखे जा सकते हैं। बाइनरी सिस्टम दो नम्बर पर आधारित होता है इसमे दो नम्बर ० और १ हैं इसी से बाकी नम्बर लिखे जाते हैं कम्प्यूटर विज्ञान बाइनरी सिस्टम पर आधारित है तथा १, २, ४, ८, १६ .... नम्बर इन दोनो सिस्टम को आपस मे जोड़ते हैं। यह नम्बर (१, २, ४, ८, १६ ....) हमारी दुनिया को डिजिटल-दुनिया से, कम्प्यूटर की दुनिया से, जोड़ते हैं।

विज्ञान के हर क्षेत्र के विषेशज्ञों का योगदान, कमप्यूटर विज्ञान मे है पर सबसे बड़ा योगदान गणितज्ञों का है। कम्प्यूटर विज्ञान अपने पठार पर पहुंच रहा है और इसका ज्यादा विस्तार applications मे हो रहा है। पर क्या कम्प्यूटर विज्ञान का विस्तार यहीं समाप्त हो जायगा और केवल applications मे सीमित हो जायेगा। या फिर इसमे भी कोई क्रान्ति (quantm jump) आयेगी। यदि आयेगी तो किस तरफ से आने की सम्भावना सबसे अधिक है? जाहिर है यह गणित के की तरफ से आयेगी। गणितज्ञों का योगदान कमप्यूटर विज्ञान मे किस तरह से और कैसे है और गणित के किस क्षेत्र से कमप्यूटर विज्ञान मे क्रान्ति (quantum jump) आने की सम्भावना सबसे अधिक है। इसकी चर्चा हम 'गणित, चिप, और कम्प्यूटर विज्ञान' नामक सिरीस मे करेंगे। मेरे विचारसे यह क्रान्ति गणित के निम्न दो क्षेत्रों से आयेगी

लेकिन जैसा कि शुभा ने अभियान ट्यूरिंग – प्रगति की पोस्ट पर बताया कि मैं इस पर लिखने मे समर्थ नहीं हूं, मुन्ने की मां जरूर है पर वह तो मेरी चिट्ठाकारी रुकवाने मे तुली है। क्या कोई चिठ्ठेकार बन्धु इसको लिखने का जिम्मा लेना चाहेंगे।

कम्प्यूटर विज्ञान मे क्रान्ति गणित के किसी भी क्षेत्र से आये, पहेलियां उसका हमेशा से उसका हिस्सा रहेंगी। इसलिये बहुत सारी कमप्यूटर फर्म नौकरी देने से पहले पहेलियों कि भी परीक्षा लेती हैं। गूगल ने तो कुछ समय पहले अमेरिका की सड़कों पर, सार्वजनिक रूप से पहेली बूझ कर, नौकरी दी। उसका किस्सा तो आपको मालुम ही होगा। क्या, नहीं मालुम! चलिये कभी उसके बारे मे भी बात करेंगे।
क्या हम मे से कोई चिठ्ठेकार बन्धु है जिसने,
  • गूगल मे नौकरी पाने के लिये इस पहेली का हल निकाला हो; या
  • हल निकालने की कोशिश की हो; या
  • गूगल के द्वारा इस पहेली के बूझने मे कोई काम किया हो; या 
  • इस पहेली को स्वयं देखा हो। 
इनमे से कोई हमे बताये तो शायद ज्यादा मजा आये। मेरे बताने मे तो वह मजा नहीं।
 
लेकिन इसी बीच अपने पहेली बाज को मत भूलिये - पहेलियां, मुन्ने और मुन्नी के साथ सुलझाते जाईये। क्या मालुम उन्ही से मे कोई एक दिन कम्प्यूटर विज्ञान मे क्रान्ति ले आये


नारद जी की छड़ी और शतरंज का जादू 
भूमिका।। बचपन की यादों में गुणाकर मुले।। शतरंज का जादू।। सृष्टि का अन्त।। २ की पावर और कंप्यूटर विज्ञान और श्रृंखला का निष्कर्ष।।
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