Monday, March 20, 2006

तीन दिन: ईश्वर के देश में - दूसरा दिन

हम लोग सुबह वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी के लिये निकल पड़े| केरल की सड़कें बहुत अच्छी हैं| एक बार ससंद में सड़कों के बारे में चर्चा हो रही थी तो किसी ने सड़कों को ओमपुरी तथा हेमा मालिनी के गालों से उनकी तुलना की| बिहार की सड़कें ओमपुरी के गालों जैसी बतायी गयीं: फिर तो केरल की सड़कें हेमा मालिनी के गालों जैसी हैं - एकदम चिकनी| अब्दुल हमारे टैक्सी के चालक थे बस पलक झपकते वह हवाई जहाज की रफतार पकड़ते थे| मुझे उन्हे रास्ते भर बताना पड़ा कि मै अळाह मिया से प्रेम करता हूं पर इतना भी नही कि मैं, उनसे मिलने, कुछ साल पहिले ही पहुंच जाऊं|

पूकोड झील
रास्ते में पूकोड झील पड़ी| यह एक पिकनिक स्पौट है: शान्त, स्वच्छ, वा सुन्दर| पिकनिक की जगह पर इतनी सफाई कम देखने को मिलती है: मन प्रसन्न हो गया| थोड़ी धूप हो गयी थी इसलिये बोटिंग न करके हम लोगों ने उसका पैदल चक्कर लगाना ठीक समझा| थोड़ी देर बद लगा कि कुछ बच्चे बोट पर गा रहें| गाना लय में तथा अच्छा लग रहा था पर समझ में नहीं आ रहा था चक्कर के बाद यह बच्चे अपने टीचरों के साथ मिले| मैने उनके स्कूल तथा गाने के बारे में बात की| यह बच्चे पहली से लेकर चौथी क्लास में परुमदचेरी मोपला लोवर प्राइमरी स्कूल नादापुर कालीकट में पड़ते थे| स्कूल के टीचरों ने मोपला का अर्थ मुसलिम बताया गया| मेरे पूछने पर उन्होने कहा कि यह इस लिये रखा गया है कि वह मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में है इसके अलावा इसका कोई और अर्थ नहीं है क्योकि न तो उस स्कूल के मैनेजर मुसलमान है न ही यह स्कूल केवल मुसलमानो के लिये है इस स्कूल में सब धर्म के बच्चे पड़ते हैं तथा सब धर्म के टीचर हैं|

कुजं अबदुल्ला इस स्कूल में अरेबिक पड़ाते हैं उन्होने बताया कि कुछ स्कूलों में उर्दू तथा कुछ में सस्कृंत पड़ायी जाती है| वही गीत बच्चों के साथ गा रहे थे| उन्होने वह गाना फिर से सुनाया और उसका मतलब भी बताया| यह गीत मछुवारे जब मछली पकड़ने जाते हैं तो गाते हैं इसमें वे, मुथपन्न, जिसे वे भगवान मानते हैं की स्तुति की गयी है वे उससे प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हे स्वस्थ रखे, सलामत रखे, और उन्हे समृधि दे| मेरे पास टेप-रिर्कौडर नही था वरना उस गाने को टेप करके आप तक पहुंचाता| क्या उस स्कूल के टीचर यदी इस ब्लौग को पड़ रहें हो तो उस गीत को टेप करके क्या मेरे पास भेज सकते ताकि मैं उसे लोगों तक पहुंचा सकूं| या कोई अन्य पाठक मेरी मदद करेगा|

मेरा पूकोड झील से बिलकुल जाने का मन नही था पर शाम के पहिले वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी पहुचना था इसलिये मन मार कर वहां से चलना पड़ा| मन में यही इच्छा थी कि यदि सारे पिक्निक स्पौट इतने साफ हो जायें तो क्या बात है|

एग्रीक्लचर रिर्सच अनुसन्धान
वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी वायनाड के सुलतान बत्तरी तहसील में है हम लोगों ने अपना डेरा वहीं जमाया| जगंल जाने में कुछ समय था इसलिये एग्रीक्लचर रिर्सच अनुसन्धान को देखने के लिये चले गये| वहां पर एक प्रौफेसर साहब ने घुमाया| यहां पर तरह तरह के फल, मसाले (लौगं, इलायची इत्यादि) के पेड़ लगे थे| वे उनको बेचते भी थे - कुछ साल पहिले उनकी सेल ६५ लाख थी मैनं कहा कि तब तो यह जगह आत्म निर्भर होगी उन्होने कहा कि नहीं| मुझे कुछ आश्चर्य हुआ| वे बोले केरल में लोग कम काम करते हैं दो लोग भी इकठ्ठा होगें तो अपनी यूनियन बना लेगें| केरल में हिन्दू, मुसल्मान, तथा ईसाइ तीनो की संख्या लगभग बराबर है| मैने पूछा क्या भगवानो की भी यूनियन है, वे हल्के से मुस्करा कर बोले, शायद| एग्रीक्लचर रिर्सच अनुसन्धान एक दिन आत्म निर्भर बने, हमारी Bio-diversity को बनाये रखने में मददगार साबित हो, हमारी हो रही bio-piracy को रोकने सहायक बने ऐसी कामना करते हुए हम ने वहां से विदा ली|

जगंल - मुतंगा रेजं
केरल, कर्नाटक, तथा तामिलनाडू की सीमायें जहां मिलती हैं वह जगंल है| जो हिस्सा केरल में है वह वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी कहलाता है| जो हिस्सा कर्नाटक में है वह बन्दीपुर राष्ट्रीय वन उद्यान कहलाता है| जो हिस्सा तामिलनाडू में है वह मुदुमलाई राष्ट्रीय वन उद्यान कहलाता है यानी यह तीनो एक ही जगंल के हिस्से हैं| वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी तथा मुदुमलाई राष्ट्रीय वन उद्यान हाथियों के लिये सुरक्षित क्षेत्र हैं तथा बन्दीपुर राष्ट्रीय वन उद्यान टाईगर के लिये सुरक्षित क्षेत्र है|

जगंल या तो सुबह देखने जाया जाता है या शाम को| शाम होने वाली थी और हम लोग वायनाड वाईल्ड लाईफ सैक्चुंरी - मुतंगा रेजं देखने निकल पड़े| मैं मध्य-प्रदेश के कुछ जगंलो में गया हूं| मुझे यह जगंल, मध्य-प्रदेश के जगंलो से कम घना लगा| हिरण, चीतल, साम्भर के कुछ झुन्ड दिखायी पड़े| कुछ जगंली भैसें (Bison) भी दिखायी पड़े| पर हाथी का कोई झुन्ड नहीं दिखायी पड़ा| एक जगह घास ऊचीं ऊचीं थी वहां पर हाथी की चिंघाड़ सुनायी पड़ी; वहां देखने पर सूंड़ फिर हाथी का सिर दिखायी पड़ा| हम लोग जीप के ऊपर चड़ कर देखने लगे| थोड़ी देर बाद वह सूड़ हम लोगों की तरफ आने लगी| हमारा एक साथी चिल्लाया, भगो और हम सब गाड़ी पर तेज़ी से भाग कर बैठे और वहां से रफू-चक्कर| रात को जब हम जब अपने कमरे में आये तो बहुत थके हुऐ थे, पता ही नही चला कि कब निद्रा देवी की गोद में चले गये|

तीन दिन: पहला/ दूसरा/ तीसरा

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